Monday, March 25, 2013

दुर्घटना से सावधानी भली ...!सच में ...आज कुछ ऐसा ही हुआ ....मैं किचन में व्यस्त थी और मेरी बेटी अपने कामों में ...बता दू मेरी बेटी दो साल की है ...और दो साल  के बच्चे किस तरह के काम में व्यस्त होते हैं ये बताने की आवश्यकता नहीं .....कुछ देर बाद वो मेरे पास आयी ....बोली -मम्मा कोल्ड ड्रिंक टेस्टी   नहीं ...कोल्ड ड्रिंक ...? ये कहाँ से पी ली इसने ...? उसने अपना सर मेरे पैर पर  टिका दिया ...अजब सी  बेचैनी हुई अन्दर से ....उसके मुंह से किसी चीज़ की  बदबू आ रही थी ...अगरबत्ती जैसी .... मैंने चारों तरफ देखा ...कहीं कुछ नहीं दिखा ...मेरी नज़र बालकनी में खुले lizol  के बोतल पर पड़ी .... यकीन  मानिये मेरी साँसे  थम गई .....मेरा दिमाग सुन्न पड़ गया ... आँखों में आंसू आ गए .... मैंने उसे गोद में लिया ... जैसी थी उसी हालत में घर लॉक किया ...हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ी .....ऑटो में बैठी बिना उससे पूछे की वो कितना पैसा लेगा ....ये बहस आज  बेकार लगी  मुझे .... रस्ते से ही अपने पति को फ़ोन  कर दिया .... बेटी से बात करती रही ....घर से हॉस्पिटल २ KM की दूरी पर होगा ...पर आज ये दूरी  अनंत लग रही थी ....उसपर ऑटो वाला नया था ...४ दिन पहले  ही ऑटो चलाना   शुरू किया था .... ज्ञात होता  तो उसकी ऑटो में न बैठती .... क्यूंकि ये जगह मेरे लिए भी नयी है ....कुछ महीने पहले ही हम दिल्ली से बैंगलोर शिफ्ट हुए है ......पति का फ़ोन आया तो पता चला हम आगे निकल गए ...बैंगलोर में यू  टर्न लेना मतलब २ KM  और चलना .....आज मैं खुद को कोस रही थी ... बड़ी तीस मार खान बनती हो ...?एक रस्ता याद नहीं रख सकती ....और ये ट्रैफिक ...कोई रूल्स क्यू नहीं फ़ॉलो  करता ... सड़कें इतनी पतली क्यूँ है ...इतने ट्रैफिक लाइट्स क्यूँ है .......इतने कार , इतनी बसें क्यूँ है .....आबादी इतनी क्यूँ बढ़ गई है .....सब पे गुस्सा आ रहा था ...ऑटो वाला भी ये भांप गया था ...सॉरी मैडम ...सॉरी मैडम की राग आलापे  जा रहा था ....... मैंने अपनी बेटी को कसकर पकड़ रखा था ....वो चुप थी ...पता नहीं क्यूँ ...... अक्सर ऐसा नहीं होता ......जब वो बहार होती है तो खुश होती है .......शायद मेरी घबराहट से घबरा रही थी ...... बोली माम्मा छोल्ली अब कोल्ड ड्रिंक्स नै पिगेगी ....... आज उसकी ये तुतलाहट तीर जैसी  चुभी ......अपने खुदा  को ना जाने कितनी बार याद किया होगा मैंने ........ हम हॉस्पिटल पहुँच गए .......मेरे पति वहीँ हमारी इंतज़ार में खड़े थे ........हम भागे डॉक्टर के पास ...डॉक्टर ने भी सबकुछ छोड़ सबसे पहले हमें  अटेंड किया ..........उसके पेट से सब फ्लश - आउट किया ...बहुत रोई .....अब वो ठीक है ...पहले जैसी चंचल ...पहले जैसी - काम काजू ..... पर अब मैं सावधान रहूंगी .....